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कविता

दृश्य

लहब आसिफ अल-जुंडी

अनुवाद - किरण अग्रवाल


एक क्षण लें
देखें जितनी दूर तक आप देख सकते हैं
ब्रह्मांड
जीवन का सबकुछ
सारे सुख और दुःख
सारा कुछ जो वहाँ है
एक खींची हुई तस्वीर
एक तात्कालिक दृश्य
सम्पूर्ण का।

दूसरा क्षण लें
ध्यान केन्द्रित करें
छोटे से छोटे बिन्दु पर
नन्ही से नन्ही अनुभूति
एक पल
पक्ष विहीन
नहीं गहराई
न ही भार।

दोनों एक समान हैं
एक में शामिल है
सबकुछ
दूसरा
ले जाता है सब
बाहर की ओर।

एक नहीं हो सकता
दूसरे के बिना
एक मूर्छा
एक अकेली
धड़कन एक ही
दिल की।

 


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